Vyomika Singh: भारतीय वायुसेना की वो शेरनी, जिसने ऑपरेशन सिंदूर को बना दिया ऐतिहासिक

Vyomika Singh

जब भी भारतीय वायुसेना में महिलाओं की बहादुरी की बात होती है, तो Vyomika Singh का नाम गर्व से लिया जाता है। लखनऊ की रहने वाली व्योमिका सिंह भारत की उन चुनिंदा महिला पायलटों में शामिल हैं जिन्होंने 2500 घंटे से अधिक की उड़ानें भरी हैं। उन्होंने चेतक और चीता जैसे युद्धक हेलीकॉप्टरों की कमान संभाली है।

उनकी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से हुई और बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। वायुसेना में भर्ती होने से पहले वह एनसीसी कैडेट रह चुकी हैं, जिसने उनमें अनुशासन और देशभक्ति की भावना को और मजबूत किया।

ऑपरेशन सिंदूर में Vyomika Singh की अहम भूमिका

हाल ही में पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में Vyomika Singh का नेतृत्व बहुत ही निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने न केवल हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन को कमांड किया, बल्कि मिशन की योजना से लेकर अंतिम क्रियान्वयन तक खुद हर कदम पर मौजूद रहीं।

उनकी त्वरित निर्णय क्षमता और तकनीकी समझ ने ऑपरेशन को केवल 23 मिनट में सफलता दिलाई — जिससे न केवल भारत की ताकत दिखाई दी, बल्कि यह भी साबित हुआ कि महिलाएं किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं।

जातिगत विवाद में फंसीं Vyomika Singh

जहाँ एक तरफ देश Vyomika Singh की बहादुरी का जश्न मना रहा था, वहीं सपा नेता रामगोपाल यादव ने उनकी जाति को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने प्रेस के सामने कहा कि व्योमिका सिंह “हरियाणा की जाटव” हैं, जिससे सियासी हलकों में भूचाल आ गया।

हालाँकि, आम लोगों और सोशल मीडिया पर Vyomika Singh को जबरदस्त समर्थन मिला। लोगों ने जाति की बजाय उनकी योग्यता और देशभक्ति को सलाम किया।

Vyomika Singh का निजी जीवन

Vyomika Singh

Vyomika Singh की शादी हरियाणा के भिवानी जिले के बापोड़ा गांव में हुई है, जिसे ‘फौजियों का गांव’ कहा जाता है। उनके पति, विंग कमांडर दिनेश सिंह सभ्रवाल भी भारतीय वायुसेना में कार्यरत हैं।

उनका परिवार पूरी तरह से देशसेवा के लिए समर्पित है। Vyomika Singh की कहानी यह बताती है कि कैसे एक सामान्य पृष्ठभूमि से आई लड़की अपने हौसले, मेहनत और लगन से देश की रक्षा का अभिन्न हिस्सा बन सकती है।

निष्कर्ष: Vyomika Singh एक प्रेरणा

Vyomika Singh आज उन हजारों लड़कियों की प्रेरणा बन चुकी हैं जो फौज में जाना चाहती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि चाहे मिशन कितना भी मुश्किल क्यों न हो, एक महिला अफसर भी उतनी ही कुशलता और पराक्रम से उसे अंजाम दे सकती है।

उनकी कहानी सिर्फ एक अफसर की नहीं, बल्कि एक साहसी महिला की है जो देश के लिए हर सीमा पार करने को तैयार है।

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